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निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता के मायने मीडिया को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। जिसका असल काम सरकार के कामकाज को निष्पक्ष तरीके से जनता के सामने रखना। अगर सरकार की नीतियां जनमानस के प्रतिकूल हैं तो अपनी रिपोर्ट और अध्ययनों से सरकार को आइना दिखाना। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह अपनी खामियों को दुरुस्त करे और लोकहित में नीतियों का निर्माण करें। लेकिन क्या आज के दौर में जो पत्रकारिता की जा रही है वो निष्पक्ष और निर्भीक है? आज के हालातों को देख कर कह सकता हूं, नहीं। इस युग में पत्रकारिता से निष्पक्षता की उम्मीद करना बेमानी है। दरअसल, आज के दौर की पत्रकारिता को 'पूर्वाग्रह' और 'विचारधारा' जो राहु -केतु के समान हैं, ने ग्रहण लगा दिया है। निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जरुरी है कि आप इन दोनों से दूरी बनाएं। न 'लेफ्ट' में जाएं, न 'राइट' में जाएं, जनता-जनार्दन के मुद्दों को उठाएं। विश्वास मानिए, जिस दिन भारतीय पत्रकारिता से यह ग्रहण हट जाएगा, भारत में निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता फिर से जी उठेगी। ऐसी मैं इसलिए कह रहा हूं कि आजकल लोगों ने पत्रकारों की पत्रकारिता देखकर उसे चैनल/अख़बार का पत्रकार नहीं विशेष पार्टी का चाटुकार मान लिया है। इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है। आखिर में जो वो देखता है, वो वैसी ही धारणा बनाता है। विडंबना यह है कि जिस देश में भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी और मरते किसान की बात होनी चाहिए वहां चैनल के स्टूडियो में 11 एस्ट्रोलर इसलिए बैठा दिए जाते हैं कि वो अपनी दूरदर्शिता से बता सकें कि भारत अगला मैच कितने रन और विकेट से जीत रहा है। काश! वे अपने कौशल और ज्ञान से यह बता पाते कि भारत में वो दिन कब आएगा जब कोई भी व्यक्ति भुखमरी से न मरे, हर व्यक्ति के पास रोजगार हो, किसान कर्ज के बोझ में आत्महत्या न करें। खैर उन्हें क्या, बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है, आईपीएल दुनिया की सबसे महंगी लीग है, यह कम है क्या? जैसा मैंने पहले कहा था कि आज के दौर के पत्रकारों को पूर्वाग्रह और विचारधारा के चंगुल से बाहर आना होगा। आपको ऐसे ही नहीं लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, आप बल्कि वो स्तम्भ है जो अगर कमजोर हुआ तो बाकी स्तम्भ भी कमजोर पड़ जाएंगे। आपकी मजबूती लोकतंत्र के तीनों स्तम्भों को तो मजबूत करेगी ही अपितु लोक (जनता) और तंत्र (सिस्टम) दोनों को सशक्त बनाएगी। ©® रोहित श्रीवास्तव #रोहितसचकीखोज