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पिज़्ज़ा खाने के बाद हम दोनों कर्ण झील की ओर चले गए, वहां थोड़ा एकांत रहता था । हम झील के किनारे पर बैठ गए । मैंने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा । अब उसकी सांसें थोड़ी तेज होने लगी थीं । वो मुझसे चिपकने लगी थी । धीरे धीरे मेरा हाथ उसके संतरे की ओर जाने लगा था । श्रद्धा खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी । वो मेरी गोद में गिर गई । मैंने उसके संतरे को दबाना शुरू कर दिया । उसके छोटे छोटे सेब के आकार के संतरे बिल्कुल कड़क थे, लगता था जैसे कभी किसी ने दबाए ना हों । फिर मैंने उससे खड़ा होने के लिए कहा और हम दोनों एक पेड़ की ओट में चले गए । उसकी कमर को पेड़ से सटाकर मैंने अपने होंठों को उसकी गर्दन पर लगा दिया और गर्दन के साथ साथ कान के नीचे चूमना शुरू कर दिया । मेरे हाथ उसके छोटे छोटे संतरे को मसल रहे थे । उसके संतरे को दबाने से मुझे जो मज़ा मिल रहा था, वो लिख पाना मुश्किल है । उसने दोनों हाथों से मुझे अपनी बांहों में भर लिया । उसकी सांसें किसी धौंकनी की तरह तेज तेज चल रही थीं और दिल जोर जोर से धड़कने लगा था । मुझे तो इतना मजा आ रहा था कि मैं उसे खाने लगा था । हमारे होंठ कब एक दूसरे को खाने लगे थे, कुछ पता ही नहीं चला । मेरा लॉलिपॉप पैंट को फाड़ने को हो रहा था । मैंने उसके हाथ को पकड़ा और धीरे से अपने लॉलिपॉप पर रख दिया । उसने झटके से अपने हाथ को पीछे हटा लिया पर हमारी चुम्मा-चाटी चलती रही । हम दोनों इतने ज्यादा बेखबर थे कि हमें आस-पास की भी खबर ना रही । इसी बीच कोई हमारे पास आकर हंसा, तो हम चौंक कर अलग हो गए । देखा तो वो दोनों भी एक लव कपल थे । उसके बाद मैंने उसे उसके घर छोड़ दिया । शाम को उसका मैसेज आया- मिस यू । मैंने भी रिवर्ट कर दिया- मिस यू टू । उसके बाद मैंने उसे फोन किया और पूछा कि मज़ा आया क्या? तो वो शर्मा गई । उसने बताया कि यह उसके लिए पहला अनुभव था । अब ये चुम्मा चाटी अलग अलग सुनसान जगहों पर लगभग रोज होने लगी । वो हद से ज्यादा गर्म हो जाती और हमारी तड़पन रोज बढ़ती जाती । दस दिन बाद एक दिन वो लोअर टी-शर्ट कैसुअल्स में आई हुई थी और मैं भी । जब हम एक दूसरे को चूस रहे थे तो मैंने हाथ उसकी टी-शर्ट में डाल दिया । वो हाथ बाहर निकालने लगी तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया । उसके मुलायम मुलायम संतरे मुझे बेकाबू करने लगे थे । मैंने डरते हुए धीरे धीरे उसकी जलेबी की तरफ हाथ बढ़ाया और उसके लोवर में अन्दर हाथ डाल दिया । उसने भी मेरा हाथ बाहर नहीं निकाला और मज़ा लेने लगी । उसकी जलेबी कसी हुई और मुलायम थी । जलेबी की दोनों फांकें एक दूसरे से चिपकी हुई सी थीं । मैं उसकी जलेबी को धीरे धीरे सहलाने लगा और वो कामुक सिसकारियां भरने लगी । वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि तड़पने लगी । मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लॉलिपॉप पर रख दिया । मुझे लगा कि वो आज फिर से झटक देगी, पर उसने मेरा लॉलिपॉप पकड़ लिया । अब मैंने अपने हाथ के इशारे से उसे लॉलिपॉप सहलाने के लिए कहा । वो धीरे धीरे मेरा कड़क लॉलिपॉप सहलाने लगी । मुझे लगा कि आज मेरी किस्मत मेहरबान है । मैंने उससे होटल में चलने के लिए बोला । पर उसने मना कर दिया । कुछ देर बाद उसके जाने का समय हो गया था और खुली जगह ठुकाई के उतनी सेफ नहीं होती इसलिए हम दोनों वापस घर आ गए । शाम 7 बजे उसका फोन आया । वो बोली- मुझे अकेले में मिलना है । मैंने पूछा- कब? वो बोली- आज 9 बजे मेरे घर आ जाना, घर वाले सब जागरण में जाने वाले हैं । वो सब 2 बजे रात तक वापस आएंगे । मैं तबीयत का बहाना करके रुक जाऊंगी । तुम बिना घंटी बजाए अन्दर आ जाना, दरवाजा खुला रहेगा । मैं ठीक 9 बजे पहुंच गया । बाइक मैंने उसके घर से थोड़ी दूर की मार्केट में खड़ी कर दी । ताकि वापस आते समय देर हो जाए तो किसी को शक ना हो । उसके घर तक पैदल जाकर देखा वो दरवाजे पर ही खड़ी थी । मैं जल्दी से अन्दर आ गया और उसने अन्दर से मेन गेट लॉक कर दिया । उसने डिनर के लिए पूछा, तो मैंने कहा- आज तो तुम्हें ही खाऊंगा । वो बोली- देखते हैं कौन किसे खाएगा । मैंने पूछा- तुमने पहले कभी ठुकाई की है? गर्लफ्रेंड बोली- शायद । मैंने पूछा- शायद क्या होता है या तो की है या नहीं की । वो बोली- जब मैं 10+2 में थी, तब एक बार एक दोस्त के साथ उसके बर्थडे पर उसके रूम पर रुकी थी । उस दिन मैंने बहुत ज्यादा पी ली थी । मुझे नहीं पता उसने मेरे साथ क्या क्या किया, मुझे कुछ याद नहीं । उसके बाद हम कभी नहीं मिले । अब हम सीधे उसके कमरे में चले गए । उसने स्कर्ट पहनी हुई थी, उसकी गोरी गोरी भरी हुई जांघें देखकर ही मेरा लॉलिपॉप खड़ा हो गया । कमरे में जाते ही मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया । वो बोली अभी हमारे पास बहुत टाइम है । पर मैं खुद को नहीं रोक पा रहा था । मैंने उसे पीछे से पकड़े पकड़े उसकी संतरे को दबाना शुरू कर दिया । उसे आगोश में भरकर मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे सारी कायनात मेरी बांहों में हो । मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया । मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और हम एक दूसरे के होंठों को खाने लगे । मेरी जीभ यकायक ही उसके मुँह में चली गई और वो आइसक्रीम की तरह उसे चूसने लगी । उसके मुँह का रस मैं पी रहा था और मेरे मुँह का रस वो चूस रही थी । अब मेरे हाथों ने उसके जिस्म से कपड़ों को आजाद करना शुरू कर दिया । उसकी टी-शर्ट उतारते ही उसकी सेब के आकार की गोल गोल छोटी छोटी संतरे बाहर आ गईं । वो इतनी मस्त थी कि मैंने उसके होंठों को छोड़कर संतरे को चूसना शुरू कर दिया । वो उत्तेजित होने लगी । उसकी संतरे अकड़ने लगीं और संतरा के अंगूर कड़े होने लगे । उन्हें चूस चूस कर मेरा लॉलिपॉप लोवर को तम्बू बना रहा था । वो अपने नाम के मुताबिक थी भी बहुत श्रद्धा । संतरा चूसने से ही उसने मुझे कस कर जकड़ लिया था । अब मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और मैं लोवर में आ गया । वो स्कर्ट में रह गई । मुझे उसकी श्रद्धा श्रद्धा संतरे चूसने में ही इतना मज़ा आ रहा था कि उन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था । कभी मैं एक संतरा को चूसता तो कभी दूसरी । एक हाथ मेरा उसके बालों में था और दूसरे से उसकी कमर सहला रहा था । अब दूसरे हाथ से मैं उसके कूल्हों को धीरे धीरे मसलने और दबाने लगा । इससे वो और ज्यादा सिसकारने लगी । उसकी संतरे को चूसते चूसते अब मैं उसकी नाभि को चूसने लगा तो वो बेकाबू हो गई और उसने अपने नाखून मेरी कमर में गड़ा दिए । वो मुझे कसकर भींच रही थी ।