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दोस्तो, मेरा नाम वरुण धवन है । मैं हरियाणा के छोटे से शहर करनाल का रहने वाला हूं । मैं अक्सर काम के सिलसिले में यात्रा करता रहता हूं । दो साल पहले जब मैंने कॉलेज पूरा करके काम शुरू ही किया था, यह तब की ही घटना है । मेरे चाचा का अपना व्यवसाय है और मेरे घरवालों ने मुझे उन्हीं के पास भेज दिया था । एक दिन चाचा ने मुझे काम के सिलसिले में पानीपत जाने के लिए कहा । मैं जीटी रोड पर खड़े होकर बस का इंतज़ार करने लगा । कुछ ही देर में बस भी आ गई । अगले स्टॉप पर बस रुकी तो एक 20-22 साल की लड़की भी बस में चढ़ी । उसने नीला टॉप और ब्लैक जींस पहनी हुई थी । देखने में इतनी सुन्दर कि मलाई की चिकनाई भी मद्धिम पड़ जाए और उस पर उसकी वो बेहद लाजवाब ड्रेस, उसकी खूबसूरती को निखार रही थी । उसे देखकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया । वो आकर मेरे पीछे की सीट पर बैठ गई । मैं मुड़ मुड़ कर कभी कभी उसे देख लेता था । मैं ही नहीं बल्कि सबकी निगाह उसी की तरफ थी । उसके गोल गोल उभरे हुए स्तन, गदराये हुए जलेबीड़ उसे रूप की रानी बना रहे थे । बीच रास्ते में उसे किसी का फोन आया और उसने फोन पर बताया कि वो श्रद्धा कपूर ही बोल रही है । मुझे उसका नाम याद हो गया । अगले स्टॉपेज पर मुझे उतरना था तो मैं उतर गया और उससे मेरी कोई बात न हो पाई । समय बीतता गया । लगभग 2 महीने बीते होंगे कि एक दिन चाचा के ऑफिस का प्रिंटर खराब हो गया और उन्होंने मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट से इंजीनियर को लाने भेजा । मैं इंजीनियर के ऑफिस पहुंचा तो उसने मुझे एक घंटा बाद दोबारा आकर साथ के जाने के लिए कहा । मैं जैसे ही दरवाजा खोल कर निकलने लगा कि अन्दर आने वाली एक लड़की से टकरा गया । उसके हाथ में एक कार्ट्रेज थी, जो गिर पड़ी । मैंने देखा कि यह तो वही बस वाली लड़की थी । मैंने उसे कार्ट्रेज उठाकर दी और कहा- सॉरी श्रद्धा । वो बोली- इट्स ओके, पर तुम मेरा नाम कैसे जानते हो? मैं तो तुम्हें नहीं जानती और ना तुमसे पहले कभी मिली? मैंने कहा- मैं तो आपको जानता हूं । इससे वह और ज्यादा उत्सुक हो गई । मैंने झूठ मूठ बोल दिया कि एक फ्रेंड की मैरिज में एक बैंक्वेट में तुम अपनी फ्रेंड्स के साथ थीं, तो किसी फ्रेंड से मैंने तुम्हारे बारे में पूछा था । वो मुस्कुरा दी । पता नहीं क्या हुआ कि उसका रुझान मेरी तरफ हो गया । हम दोनों बात करने लगे । उसके बाद उसने बताया कि उसकी ग्रेजुएशन अभी कंप्लीट हुई है और वो अभी कंप्यूटर और टैली सीख रही है । उस दिन से मैंने उस दिन से उसका आना जाना, देखना शुरू किया और कुछ ही समय में उसके क्लास शुरू होने व खत्म होने का टाइम नोट कर लिया । सारी जानकारी करने के बाद मैं सोमवार के दिन उसके टाइम पर पहुंच गया । वो अपनी सहेलियों के साथ क्लास से बाहर आ रही थी । मुझे सामने देखकर मेरी उससे हाय हैलो हुई । कुछ पल बाद वो अपनी सहेलियों से जुदा हुई और खड़ी होकर किसी साधन का इन्तजार करने लगी । मैंने उसके पास बाइक ले जाकर उससे पूछा- श्रद्धा क्या मैं तुम्हें छोड़ दूँ, तुम कहां रहती हो? वो मेरे साथ जाने को राजी हो गई और अपने घर का पता बताती हुई मेरे साथ बाइक पर बैठ गई । मैं उसके घर की तरफ बढ़ गया । उसके घर जाकर मैंने बाइक रोकी । उसने मुझे अन्दर आने के लिए कहा । मैं ये सोच कर चला गया कि उसके घरवालों से मुलाकात हो जाएगी तो आना जाना शुरू हो जाएगा । उसने चाय लाने का कहा तब तक उसकी मम्मी आ गईं उनसे नमस्ते हुई और औपचारिक बात होने लगी । चलते समय उसने मुझे थैंक्स कहा तो मैंने श्रद्धा से उसका मोबाइल नंबर ले लिया । उसने झट से दे भी दिया । इस सबसे मुझे समझ आ गया कि श्रद्धा भी मेरे साथ सहज है और मेरी उससे बात बन सकती है । अब हमारी रोज बात होने लगी । एक दिन मैंने उससे कहा कि मेरा तुम्हारे साथ कॉफी पीने को मन है, क्या चलना पसंद करोगी? थोड़ी नानुकुर के बाद वो 2 दिन बाद आने के लिए मान गई । तय टाईम के अनुसार उसके इंस्टीट्यूट के पास से मैंने उसे अपनी बाइक पर बैठा लिया । उस दिन उसने ब्लैक गाउन पहना हुआ था । उसमें वो बला की खूबसूरत लग रही थी । मेरा लॉलिपॉप पैंट में ही फड़कने लगा था पर अभी तो बात की शुरुआत थी । उसकी पसंद के मुताबिक हम पिज़्ज़ा शॉप पर गए और ऑर्डर देकर कोने में बैठ गए । बातों बातों में मैंने उसकी कमर के पीछे से हाथ फिराया, तो उसके बदन में सिहरन दौड़ गई और वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी । मैंने उसे इशारा किया तो वो मेरे थोड़ा और करीब आ गई । हम दोनों के बदन आपस में रगड़ खाने लगे । हमारे बीच जुबान से बात होना बंद हो गई, अब दिल से दिल की बात हो रही थी ।