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7 वर्षीय रश्मि एक गृहणी हैं जो मैथ्स से ग्रेजुएट हैं। कोरोना के हालात सुधरने के बाद घर से ही काम करने की चाह में उन्होंने ऑनलाइन एजुकेशन के एक प्लेटफॉर्म से बतौर टीचर जुड़ने के लिए अप्लाय किया। ऑनलाइन डेमो और इंटरव्यू अच्छा गया मगर एक सवाल पर बात अटक गईं। जब उन्होंने फिजिकल क्लास लेने के बजाय घर से क्लास लेना पसंद किया तो अगले राउंड की बात पर इंटरव्यू खत्म हो गया। रश्मि को बाद में बताया गया कि वे कंपनी की जरूरत पर खरी नहीं उतरतीं। 32 वर्षीय आशीष अपने ग्रेजुएशन के दिनों से ही बतौर प्राइवेट ट्यूटर काम कर रहे हैं। पिछले 8 वर्षों से एक बड़े कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं। छात्रों के बीच पढ़ाने के तरीके को लेकर लोकप्रिय भी हैं। मगर पिछले 6 महीनों से वह परेशान हैं। कोरोना के दौरान उन्होंने कई ऑनलाइन क्लासेज ली थीं। मगर अब ऑनलाइन क्लास के लिए वीडियो बनाना, ऑफलाइन क्लासेज के अतिरिक्त नया काम मिल गया है। कोरोना के पहले तक सिर्फ फिजिकल क्लासेज लेने वाला उनका कोचिंग संस्थान अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लाना चाहता है। स्मिता सिंह एक गृहणी हैं। उनकी बेटी प्रीति 10वीं कक्षा में है। स्कूल में प्रदर्शन बेहतर करने और साथ-साथ इंजीनियरिंग की तैयारी कराने के लिए उन्होंने एक बड़े एडटेक प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन ले रखा है। 2020 तक वे इससे संतुष्ट भी थीं। स्कूल दोबारा खुलने से अब जहां बेटी के पास समय कम है, वहीं एडटेक भी इसी समय लगातार बदलाव कर रहा है। एक महीने में बेटी के टीचर्स कई बार बदले हैं। हर बार नए टीचर से एडजस्ट करना मुश्किल हो रहा है। महंगा लॉन्ग टर्म सब्सक्रिप्शन ले चुकीं स्मिता सिंह अब ठगा सा महसूस कर रही हैं। यह तीनों कहानियां भारत में प्राइवेट ट्यूशन के 3.5 बिलियन डॉलर, यानी 4.5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा सालाना रेवेन्यू वाले कारोबार की आज के संक्रमणकाल की सच्चाई हैं। एडटेक प्लेटफॉर्म्स फिजिकल क्लासेज पर आ रहे हैं, तो कोचिंग संस्थान खुद के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च कर रहे हैं। कहीं नौकरियों में कटौती हो रही है, तो कहीं तेजी से हायरिंग हो रही है। दो साल पहले प्लेटफॉर्म चेंज करने वाले कई टीचर/एजुकेटर अब फिर बदलाव के दौर में हैं। इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर है दो साल के बाद स्कूल लौटे बच्चों पर। स्कूल में नई लर्निंग के साथ अब उन्हें अपने प्राइवेट ट्यूशन (ऑनलाइन या ऑफलाइन) में भी रोज नए बदलाव समझने पड़ रहे हैं। 9000 से ज्यादा एडटेक प्लेटफॉर्म वाले देश में लीडो और उदय जैसे कई एडटेक बंद हो चुके हैं। लागत में कटौती और ऑफलाइन मॉडल में प्रवेश कर कुछ बड़े एडटेक तो शायद सर्वाइव कर लें मगर पूरी तरह ऑनलाइन लर्निंग के मॉडल पर ही निर्भर हजारों छोटे एडटेक स्टार्टअप्स के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। ऐसे में अपने बच्चे के भविष्य के लिए समझिए, एजुकेशन प्लेटफॉर्म्स कैसे बदल रहे हैं और आप इससे कैसे निपट सकते हैं।