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बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक चरवाहा रहा करता था। उसके पास कई सारी भेड़ थीं, जिन्हें चराने वह पास के जंगल में जाया करता था। हर रोज सुबह वह भेड़ों को जंगल ले जाता और शाम तक वापस घर लौट आता। पूरा दिन भेड़ घास चरतीं और चरवाहा बैठा-बैठा ऊबता रहता। इस वजह से वह हर रोज खुद का मनोरंजन करने के नए नए तरीके ढूँढ़ता रहता था। एक दिन उसे एक नई शरारत सूझी। उसने सोचा, क्यों न इस बार मनोरंजन गाँव वालों के साथ किया जाए। यही सोच कर उसने ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।” उसकी आवाज़ सुन कर गाँव वालें लाठी और डंडे लेकर दौड़ते हुए उसकी मदद करने आए। जैसे ही गाँव वालें वहाँ पहुँचे, उन्होंने देखा कि वहाँ कोई भेड़िया नहीं है और चरवाहा पेट पकड़ कर हँस रहा था। “हाहाहा, बड़ा मज़ा आया। मैं तो मज़ाक कर रहा था। कैसे दौड़ते-दौड़ते आए हो सब, हाहाहा।” उसकी ये बातें सुन कर गाँव वालों का चेहरा गुस्से से लाल-पीला होने लगा। एक आदमी ने कहा कि हम सब अपना काम छोड़ कर, तुम्हें बचाने आए हैं और तुम हँस रहे हो ? ऐसा कह कर सभी लोग वापस अपने अपने काम की ओर लौट गए।