Download Free Audio of जब जब देश के सामने क... - Woord

Read Aloud the Text Content

This audio was created by Woord's Text to Speech service by content creators from all around the world.


Text Content or SSML code:

जब जब देश के सामने कोई संकट आया है तब तब ऐसे महापुरूष भी सामने आए हैं जिन्होंने संकट से देश को उबारा है। ऐसे महापुरूषों में सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम सबसे पहले आता है।जन्म एवं बाल्यकाल- सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म सन 1875 ई. में गुजरात में करमद नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम झबरे भाई पटेल था। वे साहसी, निर्भीक और वीर योद्धा थे। सन 1857 ई. में रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की सेना में वे सैनिक थे। इनकी माता धर्मात्मा और बहुत परिश्रमी थीं। वे घर के सभी काम अपने हाथ से किया करती थीं। माता पिता का प्रभाव सरदार वल्लभभाई पटेल पर भी पड़ा। वे भी अपने माता पिता के समान परिश्रमी और वीर बने। बचपन से ही इनमें वीरता, निर्भीकता, धैर्य और परिश्रम शीलता दिखाई देने लगी थी।शिक्षा- आपने एन्ट्रेंस की परीक्षा पास करने के बाद मुख्तारी परीक्षा पास की। आपकी मुख्तारी खूब चलने लगी। आपने इससे बहुत पैसे कमाए। आप एक अच्छे वकील के रूप में प्रसिद्ध हो गए। बैरिस्टरी की परीक्षा पास करने के लिए आप इंग्लैण्ड गए। आपने वहाँ खूब परिश्रम किया और बैरिस्टरी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। जन सेवा- महात्मा गांधी ने किसानों की सहायता के लिए आन्दोलन शुरू किया। सरदार वल्लभभाई पटेल भी महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए इस आन्दोलन में कूद पड़े। उन्होंने वकालत छोड़ दी और किसानों की दशा सुधारने के लिए दिन रात काम करने लगे। आप जो भी काम अपने हाथ में लेते थे, उसे पूरा करके ही छोड़ते थेगुजरात में सरकारी अफसर मजूदरों और किसानों से बेगार करवाया करतेथे। आपने इसका कड़ा विरोध किया और अन्त में वे अपने इस कार्य में सफल हुए और बेगार प्रथा समाप्त हो गई। आपने रोलट ऐक्ट का भी कड़ा विरोध किया। गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन में भी आपने बहुत काम किया। बहुत से छात्रों ने गांधी जी के आहान पर सरकारी स्कूल कालेज छोड़ दिए। सरदार वल्लभभाई पटेल ने ऐसे छात्रों की शिक्षा के लिए गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की।दृढ़ संकल्प के धनी- सरदार वल्लभभाई पटेल में सहन शक्ति भी बहुत थी। एक बार उनकी बगल में एक फोड़ा निकला। कहते हैं कि उन्हें बताया गया कि अगर वे एक सलाख गरम करके उस फोड़े पर लगाएँ तो वह ठीक होगा। उन्होंने सलाख गरम करके उसे अपने फोड़े पर लगाने के लिए अपने मित्र को कहा। पर उसमें यह काम करने की हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने सलाख अपने हाथ में ली। उसे खूब गरम किया और झट से उसे अपने फोड़े पर लगा दिया। गरम सलाख को लगाते समय उन्होंने उफ तक नहीं की। ऐसी थी उनकी संकल्प शक्ति। स्वतन्त्रता संघर्ष में योग- आपने गांधी जी द्वारा चलाए गए स्वतन्त्रता आन्दोलनों में सक्रिय भाग लिया। बारदौली सत्याग्रह में भी आपने विजय प्राप्त की थी और इसमें विजय प्राप्त करने के कारण आपको सरदार की उपाधि से सम्मानित किया गया था स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृहमंत्री-