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किसी गाँव में एक ताले वाले की दुकान थी। ताले वाला रोजाना अनेकों चाबियाँ बनाया करता था। ताले वाले की दुकान में एक हथौड़ा भी था | वो हथौड़ा रोज देखा करता, कि ये चाभी, इतने मजबूत ताले को भी कितनी आसानी से खोल देती है। एक दिन हथौड़े ने चाभी से पूछा , कि मैं तुमसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ, मेरे अंदर लोहा भी तुमसे ज्यादा है | और आकार में भी तुमसे बड़ा हूँ | लेकिन फिर भी मुझे ताला तोड़ने में बहुत समय लगता है | और तुम इतनी छोटी हो | फिर भी इतनी आसानी से मजबूत ताला कैसे खोल देती हो। चाभी ने मुस्कुरा के ताले से कहा कि तुम ताले पर ऊपर से प्रहार करते हो और उसे तोड़ने की कोशिश करते हो लेकिन मैं ताले के अंदर तक जाती हूँ, उसके अंतर्मन को छूती हूँ और घूमकर ताले से निवेदन करती हूँ और ताला खुल जाया करता है। वाह! कितनी गूढ़ बात कही है चाभी ने कि मैं ताले के अंतर्मन को छूती हूँ और वो खुल जाया करता है। दोस्तों आप कितने भी शक्तिशाली हो या कितनी भी आपके पास ताकत हो, लेकिन जब तक आप लोगों के दिल में नहीं उतरेंगे, उनके अंतर्मन को नहीं छुयेंगे तब तक कोई आपकी इज्जत नहीं करेगा। हथौड़े के प्रहार से ताला खुलता नहीं बल्कि टूट जाता है ठीक वैसे ही अगर आप शक्ति के बल पर कुछ काम करना चाहते हैं तो आप 100% नाकामयाब रहेंगे क्योंकि शक्ति ने आप किसी के दिल को नहीं छू सकते। अब्दुल कलाम आजाद, कोई पहलवान नहीं थे लेकिन उनकी बातों ने और उनके आविष्कारों ने लोगों के दिल को छुआ, कलाम जी के जीवन ने लोगों के अंतर्मन में जगह बनाई इसलिए आज जीवित ना होकर भी वो हम लोगों के दिल में जिन्दा हैं। दोस्तों चाभी बन जाओ, सबके दिल की चाभी यही इस कहानी की सीख है कहानी पढ़कर कहीं ना जायें दोस्तों, नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर अपना कीमती कमेंट हमें लिखकर जरूर भेजें। हमें आपके कमेंटों का इंतजार है और हमेशा रहेगा…